छत्तीसगढ़ इन दिनों देश के उन राज्यों में से एक है, जिसकी चर्चा कोरोना से बेहतर तरीके से निबटने वाले प्रदेशों में हो रही है। रविवार को रायपुर के 4 संक्रमित ठीक होकर घर लाैट गए। इनका इलाज यहां एम्स में चल रहा था। अस्पताल में वैश्विक महामारी के वायरस को अपने भीतर लिए जिंदगी के 8 से 10 दिन बिताने वाले इन वॉरियर्स ने जो कुछ महसूस किया, जो सीखा, पढ़िए उन्हीं के शब्दों में...
अछूत जैसा व्यवहार सही नहीं... मुझे भरोसा था, मैं ठीक हो जाऊंगा
18 मार्च को लंदन से लौटने वाले रायपुर के युवक ने बताया कि ‘मैं होम क्वारैंटाइन में था। 27 मार्च को मेरा टेस्ट किया गया। 28 को रिपोर्ट पॉजिटिव आई। मुझे एम्स लेकर गए, यह सब सुनकर मैंने पैनिक नहीं किया। घर वालों को भी समझा रखा था कि मैं ठीक होकर लौटूंगा, 7 दिन में यह हुआ भी। मैं आम लोगों से कहूंगा कि किसी पेशेंट के साथ छुआछूत वाला व्यवहार न करें। ऐसा मेरे साथ भी हुआ, मगर मैं दिमागी तौर पर तैयार था। यह बीमारी ठीक हो रही है, मैं ठीक हो चुका है और भी लोग रिकवर कर रहे हैं। साइक्लॉजिकल हम पैनिक करेंगे तो दिक्कत होगी। अस्पताल में बोरियत मिटाने का सहारा फोन ही था। मेरी ही उम्र का एक और पॉजिटिव युवक मुझ से कुछ दूरी पर था। वह भी लंदन से लौटा था, हमारी दोस्ती हो गई थी।’