मैंने सीखा- खुद को मजबूत रखने से लड़ाई जीत जाते
‘हमें स्टेबल रहना होगा। खुद को दिमागी तौर पर स्ट्रॉन्ग रखने से इस बीमारी से लड़ने में कामयाबी मिलती है। खुद पर यकीन करना सबसे अहम है। इस बीमारी से लड़ते वक्त मैंने यही सीखा है। मैं अन्य लोगों को बताना चाहूंगा कि जैसे हम सामान्य सर्दी-खांसी को डील करते हैं, वैसे ही बिना घबराए डॉक्टरों को फॉलो करें। सही टाइम पर मेरे अंदर इस वायरस की मौजूदगी का पता चल गया तो अच्छा लगा कि परिवार के लोग अब सेफ हैं इससे। इसलिए जांच करवाएं।’
कोरोना पॉजिटिव युवती को डॉक्टरों ने मोटिवेट किया
‘17 मार्च को लंदन से रायपुर आई युवती ने एयरपोर्ट पर जांच करवाई थी। उसने बताया कि मैंने यहां फॉर्म भरकर सरकारी लोगों को दिए। यह बताया कि मैं लंदन से आई हूं। इसके बाद मेरे घर पर भी जिला प्रशासन के अफसर आकर मेरा हालचाल ले रहे थे। 23 मार्च को मुझे लगा कि टेस्ट करवाना चाहिए, करवाया भी फिर 25 को रिपोर्ट आई। इसमें मुझे पता चला कि मैं कोरोना पॉजिटिव हूं। मैं डर गई थी, क्योंकि इसका कोई सही इलाज तो है नहीं। फिर एम्स की टीम पर भरोसा किया मैं वहां गई। डॉक्टरों ने यहां अच्छा काम किया मुझे मोटिवेट किया करते थे। मेडिसिन और खाने वगैरह की अच्छी फैसिलिटी मिली और मैं ठीक हो पाई।’
मैंने सीखा- डॉक्टर को काम करते देखा तो पॉजिटिव महसूस किया
‘मुझ से लोग दूरी बनाते थे तो अच्छा नहीं लगता था, मगर जब डॉक्टर्स को देखती थी कि वो इतने प्रिकॉशंस वाले सूट पहनकर पसीने-पसीने होकर काम कर रहे हैं, तो उन्हें देखकर मैं अपने अंदर एक पॉजिटिव एनर्जी महसूस करती थी कि इस सूट की तकलीफ को झेलकर ये हमारे लिए काम कर रहे हैं। मैंने इस दौरान सीखा कि हमें इस चीज से डरना नहीं है। जो लोग भी मेरी तरह विदेश से आए हैं तो अपनी जानकारी जरूर दें, जांच करवाएं। ऐसे नहीं है कि आपको ले जाकर अस्पताल में डाल दिया जाएगा, वहां अच्छी व्यवस्था है जो कुछ हो रहा है हमें बचाने के लिए हो रहा है। लोग आगे आएं और जांच करवाएं, इससे वो दूसरों को भी बचा पाएंगे। घर लौटने पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने फोन पर बात की और हालचाल जाना।’